प्रेम, समझ नासमझ नहीं देखता.. प्रेम तो बस हो जाता है.."माल्यदान" ~ रबीन्द्रनाथ टैगोर

प्रेम, समझ नासमझ नहीं देखता.. प्रेम तो बस हो जाता है.."माल्यदान" ~ रबीन्द्रनाथ टैगोर
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